बुधवार, 20 अक्टूबर 2010

सब तुम में ... होना, न होना...क्यों है?

कितने प्रारम्भ
कितने ही अंत 
ऊषा प्रतिदिन 
गोधूलि प्रतिदिन 
सब तुमसे 
सब तुम पर।

सब तुम में 
इतना कैसे सिमटा तुम में?
तुम हो ही क्यों?

अभी एक गीत सुना है:
तेरा ना होना जाने क्यों होना ही है। 
क्यों है? 
  
    

7 टिप्‍पणियां:

  1. ..गीत है ही बड़ा प्यारा। इस क्यों का उत्तर कौन दे भला ?

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  2. Usi movie main hi jawab bhi hai...
    Original Words: jab koi pyar main hota hai na, to kuchh bhi sahi ya galat nahi hota, bas pyar hota hai.
    Modified Version: Jab kisi pe bharosa hota hai na, to tinke bhi sare sansar ko samete dikhte hain, isme kuchh sahi ya galat nahi hota, bas hota hai.

    Jo pasand aye rakh lijiye.
    Waise original version mujhe pasand hai. :)

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  3. बंद दरवाजे पर दी गयी दस्तक
    लौटती है प्रत्युत्तर बनकर
    समेटे अपने-आप में सन्नाटा
    प्रश्न होने-न होने का है
    संकट अस्तित्व का है.

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  4. इतना कैसे सिमटा तुम में?
    तुम हो ही क्यों?

    ....

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