शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

लो फिर बसंत आई

पाकिस्तान में भी वसंत पंचमी मनाई जाती है। लीजिये सुनिये मलिका पुखराज और ताहिरा सईद को ठाकुर Padm Singh के सौजन्य से।
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लो फिर बसन्त आई, लो फिर बसन्त आई, फूलों पे रंग लाई.
...लो फिर बसन्त आई, लो फिर बसन्त आई, फूलों पे रंग लाई...
चलो बे दरंग, लबे आबे गंग, बजे जलतरंग, मन पर उमंग छाई, 
लो फिर बसन्त आई , फूलों पे रंग लाई , 

आफत गई खिज़ां की, किस्मत फिरी जहाँ की,

चले मै गुसार, सूये लाला जार, मै पर्दादार, शीशे के दर से झाँकी ,
आफत गई खिज़ां की, किस्मत फिरी जहाँ की,
खैतों हर चरिंदा, खैतों हर चरिंदा, बागों का हर परिंदा ,
कोइ गर्म खेज, कोइ नगमा रेज़, सुब को और तेज़,
फिर हो गया है ज़िन्दा, बागों का हर परिंदा , 
खैतों का हर चरिंदा , धरती के बेल बूटे, 
अन्दाज़े नौ से फूटे, हुआ पख्त सब्ज़, मिला रख्त सब्ज़,
हैं दरख्त सब्ज़ , बन बन के सब्ज़ निकले ,
धरती के बेल बूटे, अन्दाज़े नौ से फूटे,
है इश्क भी, जुनूं भी, है इश्क भी, जुनूं भी, 
कहीं दिल में दर्द, कहीं आह सर्द, कहीं रंग ज़र्द ,
है यूँ भी और यूँ भी , मस्ती भी जोशे खूँ भी , 
है इश्क भी, जुनूं भी,

फूली हुई है सरसो , फूली हुई है सरसो, 
भूली हुई है सरसो , नहीं कुछ भी याद,
यूँ ही बामुराद, यूँ ही शाद शाद ,
गोया रहे कि बरसों, फूली हुई है सरसो,
भूली हुई है सरसो, इक नाज़्नीं ने पहने, इक नाज़्नीं ने पहने, 
फूलों के ज़र्द गहने, है मगर उदास, नही पी के पास,
घमो रंजो यास , दिल को पडे हैं सहने , इक नाज़्नीं ने पहने,
फूलों के ज़र्द गहने, लो फिर बसन्त आई, 
लो फिर बसन्त आई, फूलों पे रंग लाई, लो फिर बसन्त आई ,
फूलों पे रंग लाई, फूलों पे रंग लाई...

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

वे आयेंगे


वे आयेंगे, जब गीत मुरझायेंगे
होठों को सिकोड़ देंगी झुर्रियाँ
और नैन सूख जायेंगे
वे आयेंगे
मुस्कुराते हुये गायेंगे
मुकरियाँ
और हम न समझ पायेंगे!

लगन में बरखा


साँझ से रात भर
बरसते रहे मेह
नेह झर
सिसकता विदाई गात
नवजीवन सौगात
माँ ने बाँधे साथ
बरस रहा
धुल रही प्रात।