एक कदम और..
जीवन सौन्दर्य में भ्रमण को।
एक कदम और
गुदगुदाहट, किसी भोले इंसान की निश्छ्ल हँसी सा।
एक कदम और
एक कदम और
संगिनी के साथ सुबह की टहल सा
एक कदम और
बच्चों के साथ स्कूल की बस तक
एक कदम और
लंच में बाहर धूप में गुनगुने होने सा
दोस्तों के साथ हँसी ठठ्ठा सा।
ज़िन्दगी जाने कितने कदम सँजोए है !
एक कदम और चल लें - उमंग और उत्साह के साथ?
आज एक विशेष कदम लें - पहली बार सा
चलो जन्मदिन मनाते हैं।
बधाई जी! मिठाई किधर है?
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे... बधाई हो भाई...
जवाब देंहटाएंएक कदम और ...एक कदम और ...जिन्दगी यूँ ही चले भोली निश्छल हंसी में पगी साथ उमंग और उत्साह से ...
जवाब देंहटाएंजिसका भी है ....जन्मदिन मुबारक हो ....
साहब ,
जवाब देंहटाएंहर नव - वर्ष एक नया कदम है , सीढ़ी पर रखा जाने वाला !
मंजिल की ओर जाती सीढियां और उनपर रखा जाता कदम !
पहली बार सा उत्साह नवोन्मेष है , आपके साथ मैं भी हूँ ---
...
'' आज एक विशेष कदम लें - पहली बार सा
चलो जन्मदिन मनाते हैं।''
...
इससे अच्छा तोहफा और क्या हो सकता है ।
जवाब देंहटाएंवाह वाह...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
ये एक कदम,
ख़ुशी में पगा हुआ,
भोर सा जगा हुआ
किसी के लिए रुका हुआ
समर्पण में झुका हुआ
देखिये न !
कैसे लोग नया जन्म पाते हैं....
bahut hi khoobsoorti se sameta kuch yaadon ko...
जवाब देंहटाएंसब से पहले तो बधाई, ओर यह जिन्दगी कदम दर कदम युही चलती जाती है, बहुत सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सब बधाई दिये जा रहे हैं तो हम काहे छूट जायें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना । आभार
जवाब देंहटाएंढेर सारी शुभकामनायें.
बधाई हो भाई...
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की विलंबित शुभकामनाएं ! जिसका भी उसे पहुंचाएं !
जवाब देंहटाएंकविता को बहुत बहुत व्यापक रूप में लिया जाना चाहिए। यह कविता एक खूसट बुढ्ढे मित्र के जन्मदिन पर है, जिसने अपने जैसे ही तीन चार और खूसट बुड्ढों के साथ मिल कर मुझे सोचने की तमीज सिखाने की कोशिश की। जिसने प्रश्न करना सिखाया, जिसने जीवन की छोटी छोटी बातों को भी मानवीय सम्वेदना के साथ देखने को सिखाया ... मेरा वह मित्र बहुत पहले दिवंगत हो चुका है। उससे सशरीर मैं कभी नहीं मिला। ... उसे लोग मार्क्स कहते थे।
जवाब देंहटाएंएक कदम और
जवाब देंहटाएंचुनौतियों को दिखाता अंगूठा सा
.
जवाब देंहटाएं.
.
एक खूसट बुढ्ढे मित्र के जन्मदिन पर मेरी भी शुभकामनायें,
कविता पसंद आई, अपने एक समवयस्क मित्र के आगामी जन्मदिन पर कार्ड में लिख कर देने की अनुमति चाहता हूँ, मिलेगी क्या ?
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंइसी तरह एक एक कदम से ज़िन्दगी गुज़र जाएगी !
ऐसी कविता लिखते रहे, ये शाम ठहर जाएगी !!
एक कदम और ।
जवाब देंहटाएंबधाई । अगला कदम सुन्दर और यशवान हो ।
@ ... उसे लोग मार्क्स कहते थे।
जवाब देंहटाएं----------- 'हैं' कहिये , वर्तमानता का आग्रह नाजायज नहीं होगा साहब !
...........
उम्मीद कल थी की आप बात वहीं से उठा रहे हैं पर कविता से यह निकालना
थोड़ा कठिन लग रहा था !
आभार !
मार्क्स का जन्मदिन मना रहे हैं
जवाब देंहटाएंऔर इसलिए ये कदम उठा रहे हैं
तो क्यों नहीं बता रहे हैं
हम तो कुछ और समझे
अब आप कुछ और समझा रहे हैं.....
हाँ नहीं तो...!!
ढेर सारी शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति....काश हर दिन ऐसे ही मनाया जाये...
जवाब देंहटाएंआपके तरीके अनोखे होते हैं...
जवाब देंहटाएंअनोखापन ले डूबा...कविता की किरकिरी में सफ़ाई के लिए आना ही पड़ा...काश ना आते...
और शीर्षक भी ऐसा रखा होता कि...जन्मदिन पर....
और हमारी भी बधाईयां स्वीकार करते...
वैसे कविता अपने आप में वहां नहीं पहुंचा सकती थी...जो कि है भी नहीं....
भोले-भाले
जवाब देंहटाएंसाफ़ सादा
लेकिन
सटीक लफ़्ज़ों में
मन-उत्सव का खूबसूरत चित्रण ...
अभिवादन
बहुत सुन्दर है भाई...
जवाब देंहटाएंबड़े-बड़े लोगों से आपकी मित्रता है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंसही...
जवाब देंहटाएंबड़े-बड़े लोगों से आपकी मित्रता है :)