(1)
नींद टूटती रह रह
स्वप्न माशुकाएँ
कर फुरफुरी कानों में
खिलखिलाएँ -
इतनी सारी !
(2)
शाम - प्रगल्भ वासना
निर्वसन - मुझे भोगो।
(3)
ईश्वर नाम सुमिरन -
छपते समाचार पत्र
लाखों रोज, रोज का टंटा
वही पुरानी मशीनें -
वही रोज कटते पेंड़।
(4)
सुराही हुई औंधी
तुम्हारी स्मृति
बहती - घुड़ घुड़ घुड़
घड़प !
(5)
माँ ने जलाया दीप
गाँव में शमीं तले
शाम ढले जवान बिटिया
निकली होगी दूर शहर में
प्रेमी से मिलने।
(6)
मन काठ का टुकड़ा
तलछट में पड़ा।
उमड़ी जो भाव सलिल
उपरा ही गया ।
(7)
खिलखिला बतिया रही लड़कियाँ
चुप हुईं अचानक -
एक गोद में लिए
एक उंगली पकड़ाए
एक पेट में लिए
औरत दिखी
सड़क क्रॉस करते।
(8)
देखो मेरी आँख में कैसी किरकिरी !
..तुम्हें कुछ न मिला !!
मरे सपने यूँ ही किरकिराते हैं।
(9)
एसी चैम्बर में 31 मार्च क्लोजिंग . . . .
छत पर बैठे कब के रिटायर्ड पिताजी
और अम्माँ
उम्र का हिसाब कर रहे होंगे -
शाम ढले बिन बिजली बिन पंखे।
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रात कुसमय ही नींद खुल गई। क्षणिकाएँ उसी समय की उपज हैं।
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सभी क्षणिकाएं लाजवाब लगी हैं....
जवाब देंहटाएंएक से एक चित्र उकेर दिए हैं आप...
सुन्दर अति सुन्दर...
बेचैन मनस्थितियों के कितने हृदयस्पर्शी शेड्स -लाजवाब!बेहद गर्मी है भैया और इसमें कोई ठन्डे शीतल अहसासों का घनदा औंधाकर रीत जाए तो बड़ा ही जुलुम हो जाय -आखिर कैसे कटे यह आतप ?
जवाब देंहटाएं=घड़ा
जवाब देंहटाएंआपकी कविता को समझने की कोशिश कर रहा हूँ ---''…”
जवाब देंहटाएंसुंदर, यथार्थ को चित्रित करती कविताएँ।
जवाब देंहटाएंजबर्दस्त क्षणिकाएं हैं। एक से एक बढकर।
जवाब देंहटाएंखिलखिला बतिया रही लड़कियाँ
जवाब देंहटाएंचुप हुईं अचानक -
एक गोद में लिए
एक उंगली पकड़ाए
एक पेट में लिए
औरत दिखी
सड़क क्रॉस करते।
---vah! kya baat hai!
सत्य और कल्पना के बीच शब्द मंथन ।
जवाब देंहटाएंसुराही हुई औंधी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी स्मृति
बहती - घुड़ घुड़ घुड़
घड़प !
----- शमशेर के सुराही औंधाने के बिंब
का स्मरण आ गया !
अमाँ शमशेर की पूरी कविता दो। लोग बाग नकलची होने का फरमान न जारी कर दें!
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएं बढिया है।
जवाब देंहटाएंरोज रात के साढ़े तीन बजे उठा कीजिये... नींद ना खुले तो कहिये हम जगा दिया करेंगे :)
जवाब देंहटाएंवाह साहब! क्या बात है। आपकी कवितायें/रचनायें पढ़ कर लगता है यहाँ आना सार्थक हुआ। खुद ब खुद टिप्पणी हो जाती है।
जवाब देंहटाएंमानसी
kabil-a-tarif kshanikaayen
जवाब देंहटाएंkya baat hai .aise hi likhte rahe.......
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