मेरे कुकर्मों की निन्दा न करो
मेरे कुकर्म निम्नतर हैं
मेरे कुकर्म तुम्हें स्वीकार्य होने चाहिए:
उसने बलात्कार किया - तुम चुप रहे
उसने घोटाला किया - तुम चुप रहे
उसने देश को समझौते के नीचे दफन कर दिया - तुम चुप रहे
आज मेरे निम्नतर कुकर्म पर
तुम इतने प्रगल्भ क्यों हो?
तुम पक्षपाती हो
तुम उसके साथी हो
तुम्हारे मन में चोर है -
तुम्हें याद दिलाता हूँ
तुम्हारी कसौटी ।
तुम्हें दुनिया में हो रहे
हर कुकर्म , हर अत्याचार, हर घपले
से गुजरना होगा
उन पर लिखना होगा -
इसके बाद ही तुम लिख सकते हो मेरे स्याह कर्म
कराह सकते हो
मेरे कुकर्मों की तपिश से झुलसते हुए -
बेहतर है चुप रहो जैसे पहले रहे थे
तुम्हारा मौन तुम्हारा कवच है
गारंटी है
कि
तुम निरपेक्ष हो इस सापेक्ष दौर में -
बोलने पर तुम्हें सफाई देनी होगी :
उसने बलात्कार किया - तुम चुप रहे
उसने घोटाला किया - तुम चुप रहे
उसने देश को समझौते के नीचे दफन कर दिया - तुम चुप रहे
क्यों ?
.. अब देखो न तुम्हें इस 'क्यों' पर टाँग
मैंने अपने पग बढ़ा दिए हैं
एक और कुकर्म के पथ पर -
उम्मीद है कि टँगे हुए तुम
चुप रहोगे।
बेहतर है चुप रहो जैसे पहले रहे थे
जवाब देंहटाएंतुम्हारा मौन तुम्हारा कवच है
गारंटी है
कि
तुम निरपेक्ष हो इस सापेक्ष दौर में -
बोलने पर तुम्हें सफाई देनी होगी :
-बिल्कुल सही कहा!! उम्दा रचना!
एक सापेक्षिक बेहद जरूरी सा कन्फेशन...!
जवाब देंहटाएंचुप्प! चुप्पी युग धर्म है?
जवाब देंहटाएंतुम्हें दुनिया में हो रहे
जवाब देंहटाएंहर कुकर्म , हर अत्याचार, हर घपले
से गुजरना होगा
उन पर लिखना होगा -
इसके बाद ही तुम लिख सकते हो मेरे स्याह कर्म
कराह सकते हो
मेरे कुकर्मों की तपिश से झुलसते हुए -
बेहतर है चुप रहो जैसे पहले रहे थे
तुम्हारा मौन तुम्हारा कवच है
गारंटी है
कि
तुम निरपेक्ष हो इस सापेक्ष दौर में -
बोलने पर तुम्हें सफाई देनी होगी :
काश की इन सेकुलरों और ब्लॉगजगत पर मौजूद इन पैगम्बर के दूतो के पल्ले भी कुछ पड़ता इन पंक्तियों में से !
अब जब आप जबरदस्ती चुप कराने पर तुल ही गए हैं तो लो चुप ही हो जाते हैं वैसे भी हम पहले ही कहाँ बोलते थे -अब आप अपने हैं तो आगाह करना धर्म समझा !
जवाब देंहटाएंयह चुप्पी ही सभी कुकर्मों की जननी है...।
जवाब देंहटाएंआइए, चुप रह कर हम भी इस कुकर्म में सहभागी बनें।
देखिए थूकने की कोशिश भी मत करिएगा।
सोचा था सारी पुरानी कविताएं पढ़ जाउंगा आज आपकी ! पर अब इसके बाद नहीं !
जवाब देंहटाएंकभी सोचते नहीं आप कि टिप्पणी क्यों नहीं कर रहा मैं... कभी टोंका करें श्रद्धेय !
-बिल्कुल सही कहा!! उम्दा रचना!
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