जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
अब हम शायद बात नहीं समझ रहे हैं ....फिर भी खुलासा करना चाहते हैं जी... बादर साज नयन रहे कोरे .....बादल हैं फिर भी नयन कोरे हैं, अर्थात खाली हैं उड़ रही धूर मलय संग भोरे ....अर्थात अलसुबह की हवा में भी धूल उड़ रही है..... अब इसमें सावन , या वर्षा की बात तो हम नहीं देख रहे हैं....अब हो सकता है की कोई कोई चालीस पर दू पार कर जाता है तो सठिया जाता है ....जो आज कल हमरी हालत है....तो कह नहीं सकते हैं...बाकि हमको यही बुझाया है... कवित सुन्दर है....बल्कि कहें तो बहुत सुन्दर है..... आभार....
@ अदा जी, आप एकदम सही समझ रही हैं। बदरी, उमस, घुटती कोठरी, प्रिय का रूठना, भीतर बाहर दोनों ओर वर्षा के लिए उपयुक्त स्थिति लेकिन बाहर भोर की सुगन्धित हवा के साथ धूल है तो भीतर मिलन की साक्षी सेज उदास है। ... साजन को जिन परिस्थितियों में प्रेम की वर्षा कर देनी चाहिए, उन्हीं परिस्थितियों की आड़ ले मुँह फुलाए सोया हुआ है।
सुन्दर गीत!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया! बहुत बहुत बढ़िया! गुनगुना रहा हूँ!
जवाब देंहटाएंलगता है बारिश वहाँ लखनऊ में भी पहुँच गई है....तभी भीगे भीगे गीत कुछ अकुलाहट लिए बरस रहे हैं :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत!
जवाब देंहटाएंअब हम शायद बात नहीं समझ रहे हैं ....फिर भी खुलासा करना चाहते हैं जी...
जवाब देंहटाएंबादर साज नयन रहे कोरे .....बादल हैं फिर भी नयन कोरे हैं, अर्थात खाली हैं
उड़ रही धूर मलय संग भोरे ....अर्थात अलसुबह की हवा में भी धूल उड़ रही है.....
अब इसमें सावन , या वर्षा की बात तो हम नहीं देख रहे हैं....अब हो सकता है की कोई कोई चालीस पर दू पार कर जाता है तो सठिया जाता है ....जो आज कल हमरी हालत है....तो कह नहीं सकते हैं...बाकि हमको यही बुझाया है...
कवित सुन्दर है....बल्कि कहें तो बहुत सुन्दर है.....
आभार....
@ अदा जी,
जवाब देंहटाएंआप एकदम सही समझ रही हैं।
बदरी, उमस, घुटती कोठरी, प्रिय का रूठना, भीतर बाहर दोनों ओर वर्षा के लिए उपयुक्त स्थिति लेकिन बाहर भोर की सुगन्धित हवा के साथ धूल है तो भीतर मिलन की साक्षी सेज उदास है। ...
साजन को जिन परिस्थितियों में प्रेम की वर्षा कर देनी चाहिए, उन्हीं परिस्थितियों की आड़ ले मुँह फुलाए सोया हुआ है।
बस यही समझ आया की गीत सुन्दर है ...:):)
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंशास्त्रीय । एक बन्द और होता ।
पहले थोड़ा-थोड़ा समझ में आया था. टिप्पणी के बाद पूरा समझ में आ गया... इतना अच्छा लिखते हैं आपलोग मैं तो स्तब्ध रह जाती हूँ बस.
जवाब देंहटाएंसुंदर ... अति मधुर गीत ... और समझ भी आ गया अब तो ...
जवाब देंहटाएंअति सुंदर गीत.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
अरुणेश मिश्र जी, आपकी फरमाइश हम पूरी किए देते हैं।
जवाब देंहटाएंये लीजिए एक और बन्द-
मन मचलत गहन अनल बन तन
बरबस करवट, न बदल, कर जोरे
बादर साज नयन रहे कोरे।
निश्चय ही गीत थोड़ा और बड़ा होना था ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
सुन्दर ध्वनि है ।
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