जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
bahut sundar prastuti............
अहा ।
मासूम सलाखों पर ...!चमन में क़ायम कोयल कूककौवों के घोसले शाखों पर....कौवे बोल रहे बोली कोयल की ...विरोधाभास है आँखों और होठों की बातों में कहीं ...!
...क्या है यह देव ?थोड़ा समझायिये भी !आभार!...
उकूबत में हर्फ तड़पते रहे रख दिए खत जो ताखों पर। खूबसूरती से कही ग़ज़ल ..आभार
मजमा-ए-ब्लॉगरी लगेगा फिर।मजम्मतें होगी भली लाखों पर॥:)
भले ही चाशनी घुली बोली है इन कोयलों कीमगर पैदाईश है इनकी कौओं के घोसलों की ...
इसके काफ़िये मे तो मज़ा आ गया .. क्या रवानी है ..
bahut sundar prastuti............
जवाब देंहटाएंअहा ।
जवाब देंहटाएंमासूम सलाखों पर ...!
जवाब देंहटाएंचमन में क़ायम कोयल कूक
कौवों के घोसले शाखों पर....
कौवे बोल रहे बोली कोयल की ...
विरोधाभास है आँखों और होठों की बातों में कहीं ...!
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क्या है यह देव ?
थोड़ा समझायिये भी !
आभार!
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उकूबत में हर्फ तड़पते रहे
जवाब देंहटाएंरख दिए खत जो ताखों पर।
खूबसूरती से कही ग़ज़ल ..आभार
मजमा-ए-ब्लॉगरी लगेगा फिर।
जवाब देंहटाएंमजम्मतें होगी भली लाखों पर॥
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भले ही चाशनी घुली बोली है इन कोयलों की
जवाब देंहटाएंमगर पैदाईश है इनकी कौओं के घोसलों की ...
इसके काफ़िये मे तो मज़ा आ गया .. क्या रवानी है ..
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