शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

आत्मदीपो भव

आत्मदीपो भव!
अप्प दीपो भव!
अपने प्रकाश स्वयं बनो। 
अपनी रोशनी तुम्हें खुद तलाशनी होगी। 
Be your own torch bearer. 

चाहे जैसे कहो, लब्बो लुआब ये कि करना खुद को ही है। 
तो आज दिया बन कितना जलने का प्रोग्राम है? 

7 टिप्‍पणियां:

  1. प्रदूषण मुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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  2. हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
    जब सब हैं हम भाई-भाई
    तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
    दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
    आओ सब मिलकर खाए मिठाई
    और भेद-भाव की मिटाए खाई

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  3. पटाखे वापस कर आऊँ?
    फुलझड़ियों को आग दिखाऊँ कि न दिखाऊँ?

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  4. शुभम करोति कल्याणम, आरोग्यम धन सम्पदा , शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपम ज्योति नमस्तुते .

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  5. दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।

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  6. स्वयं अपने प्रकाश बनो पर पटाखा बन फटो मत।

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  7. 'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्‍य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।

    दीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर

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