जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
इंटरैक्टिव कविताई ! हा..हा..हा..सिद्धार्थ जी को निमंत्रण भेजिए..तुकबंदी कर के गए हैं..सुर-भाव भी पकड़ लेंगे...आज उनकी छुट्टी है। मीटर साधने में दिमाग का फ्यूज उड़ जाएगा अपना।
जब कुछ नहीं पता
जवाब देंहटाएंतब इतना बता
किसकी है खता
जो करता लापता
और खुद ही खोजता
खो जाओगे पल में यादों के, उड़ जाओगे नील गगन में
जवाब देंहटाएंजब ढूंढोगे ज़मीन तो कह दुंगा-कुछ मेरी नहीं खता।
देवेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंइसे पूरा किया जाय। एक द्विपदी मैं और एक आप। शुरू करें?
बाकी लोग भी निमंत्रित हैं - इंटरैक्टिव कविताई के लिए।
इंटरैक्टिव कविताई !
जवाब देंहटाएंहा..हा..हा..सिद्धार्थ जी को निमंत्रण भेजिए..तुकबंदी कर के गए हैं..सुर-भाव भी पकड़ लेंगे...आज उनकी छुट्टी है। मीटर साधने में दिमाग का फ्यूज उड़ जाएगा अपना।
जिन्दगी का मज़ा है ही तब तक,
जवाब देंहटाएंजब तक कुछ पता नहीं।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं'ये कैसी बातें की हैं रफ्ता रफ्ता......
जवाब देंहटाएंगोया आप कोई हों शायर सजा-याफ़्ता...........!'
वैसे ये क्रिएटिव कविताई "खस्ता-शेर"
@http://khasta-sher.blogspot.com/
पर खूब जमेगी...
कविताई की होमो-तिकड़बंदी फिन सुरु होई का ....... :) |
जवाब देंहटाएं~ दर्शनाभिलाषी