डीहवारा की उपलब्धि से आगे ...
नहीं रे! उपलब्धि की नहीं चाह मुझे
प्रेमतापस हूँ, भटकता रहा युगों से
उसे ढूँढ़ता जो मेरे जैसा हो और
जिससे मैं अपनी बात कह सकूँ।
तुम्हें देखा तो लगा जैसे सब पाया
चोट छील नहीं, वे सिर्फ मेरी बाते हैं
जो मैंने की हैं - तुमसे जो अपने लगे।
तुम गढ़ा गए,उकेरा गए उन बातों से
तो ज़रा पूछो अपने प्रस्तर अंत: से
प्रेमिका जो अब सामने आई है
क्या वही नहीं जिसे तुमने चाहा था?
जिसे सँजोए रखा इतने दिनों से
आंधियां सहते
तूफान तोड़ते
मेघ रीते
घाम जलते
चन्द्र रमते!
तुम्हारा तप सफल हुआ
जैसे मुझ तापस का।
जन्मों के पुण्यकर्म फलते हैं
तब मिलते हैं दीवाने दो
तब दिखता है ऐसा कुछ।
उत्सव मनाओ -
तप नष्ट नहीं, यह सिद्धि है
हमारी उपलब्धि है,
जो मिल गई अनायास -
प्रेम में ऐसे ही तो होता है।
नहीं, ऐसा लगता है
भटकते युग याद कहाँ रहते हैं!
जो मिल गई अनायास -
प्रेम में ऐसे ही तो होता है।
नहीं, ऐसा लगता है
भटकते युग याद कहाँ रहते हैं!
'तुम्हें देखा तो लगा जैसे सब पाया' सही बात. फॉर एक्जाम्पल: आज के जामने में भी ७ फिगर सैलरी के साथ जीरो फिगर और विविधभारती सुनने वाली लडकियां होती हैं :) डिफिकल्ट, कोम्प्लेक्स... बट पोसिबल.
जवाब देंहटाएंऐंवे ही कुछ याद आ गया.
'तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि एक तुम्ही ऐसे हो !' कभी किसी ने किसी से कहा होगा ऐसा लगता है मुझे :)
जवाब देंहटाएंगुजरेगी खूब जब मिल बैठेंगें दीवाने दो
जवाब देंहटाएंप्रेम में ऐसे ही तो होता है।
जवाब देंहटाएंनहीं, ऐसा लगता है
भटकते युग याद कहाँ रहते हैं!
मगर यादों से ओझल भी तो नही होते।
मूर्तिकार तो गढ़ता है सिर्फ मूर्तियां
जवाब देंहटाएंनहीं कर पाता प्राण-प्रतिष्ठा
तूने दिया आराम
कवि द्वय को
मेरा प्रणाम।
उपलब्धि पा ठहर जाने की सड़ांध से अच्छा है प्रेमतापस बन टहलते रहना।
जवाब देंहटाएंमैंने इसे पढ़ा तो सोचा लिखूँ क्या?
जवाब देंहटाएंवहाँ गया...सोचा वहाँ कुछ साध पाऊँगा, किन्तु फिर से अकिंचन लौटा.
पर इस रस की अनुभूति के लिए कम से कम आभार तो कहता चलूँ.
डीहवारा की 'उपलब्धि' इस कविता की प्रेरणा बनी, खुशी हुई.
जवाब देंहटाएंन जाने कैसी है यह प्यास
नहीं जिसका है कोई अंत
स्वयं की गढता जाऊं मूर्ति
शेष रह जाएँ रूप अनंत
कभी तो टूटेगी यह सांस
अचंचल होंगे थककर प्राण
मिटेगी पागल मन की प्यास
मिलेगा विह्वलता से त्राण
मगर कह देना उसको लक्ष्य
नहीं कर पाता मन स्वीकार
कहीं कुछ रह जायेगा शेष
अचंचल प्राणों के भी पार.
आंधियां सहते
जवाब देंहटाएंतूफान तोड़ते
मेघ रीते
घाम जलते....
आभार...
@ Kant
जवाब देंहटाएंक्या बात है!