जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
सुन्दर रचना गिरिजेश भाई .......आपको जन्मदिन की ढेर सारी बधाई एक बार फिर
गिरिजेश जी मेरे ब्लॉग पर आने और सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार आपने चंद लाइनों जो कुछ कह दिया है अद्वितीय हैआभार रचना दीक्षित
क्या बात है बहुत खूब कहा है...बधाई...नीरज
बहुत बढ़िया!!
सुलगते रहे अरमान -कब तक ?
आखिर ये अरमान कब तक सुलगते रहेंगे इन्हे तो दावानल बनना था
सही है जब अरमान सुलगते है तो धुआ भी नही उठता.........बस दिल की लगी होती है ........पर कबतक? मुझे नही पता!
फिर जाना था... काहे को अरमान सुलगाते रहे :)
गुम के साथ साथ सुम होना भी अच्छा लगा ! …………………………….और अरमान तो सुलगते ही रह जाय तो ही अच्छा है !
आपकी छोटंकी कवितायें गजब होती हैं । यह भी वैसी ही है ।
गज़ब की है छोटी सी छनिका .... गुम थे ... सुम थे .... बहुत अच्छा लगा .....
गुम के साथ ....साथ सुम होना?ऐसा लिखना -अनूठा ख्याल लगा !अरमानो में आंच न हो तो कविता लिखी कैसे जायेगी?जो हुआ अच्छा हुआ.
गुम थे सुम थेलौट आए हम।..फिर सुलगते रह गए अरमान।क्या बात है!
हमने जो पूछा उनका हाल देखा किए वे कहर का सामानगुम थे सुम थेलौट आए हम।..फिर सुलगते रह गए अरमान।वाह.....दो पंक्तियों में कमाल .....!!
"गुम थे सुम थे" का अंदाज़ निराला है।
सुन्दर रचना गिरिजेश भाई .......
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की ढेर सारी बधाई एक बार फिर
गिरिजेश जी मेरे ब्लॉग पर आने और सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआपने चंद लाइनों जो कुछ कह दिया है अद्वितीय है
आभार रचना दीक्षित
क्या बात है बहुत खूब कहा है...बधाई...
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत बढ़िया!!
जवाब देंहटाएंसुलगते रहे अरमान -कब तक ?
जवाब देंहटाएंआखिर ये अरमान कब तक सुलगते रहेंगे इन्हे तो दावानल बनना था
जवाब देंहटाएंसही है जब अरमान सुलगते है तो धुआ भी नही उठता.........बस दिल की लगी होती है ........पर कबतक? मुझे नही पता!
जवाब देंहटाएंफिर जाना था... काहे को अरमान सुलगाते रहे :)
जवाब देंहटाएंगुम के साथ साथ सुम होना भी अच्छा लगा ! …………………………….और अरमान तो सुलगते ही रह जाय तो ही अच्छा है !
जवाब देंहटाएंआपकी छोटंकी कवितायें गजब होती हैं । यह भी वैसी ही है ।
जवाब देंहटाएंगज़ब की है छोटी सी छनिका .... गुम थे ... सुम थे .... बहुत अच्छा लगा .....
जवाब देंहटाएंगुम के साथ ....साथ सुम होना?ऐसा लिखना -अनूठा ख्याल लगा !
जवाब देंहटाएंअरमानो में आंच न हो तो कविता लिखी कैसे जायेगी?
जो हुआ अच्छा हुआ.
गुम थे सुम थे
जवाब देंहटाएंलौट आए हम।
..फिर सुलगते रह गए अरमान।
क्या बात है!
हमने जो पूछा उनका हाल
जवाब देंहटाएंदेखा किए वे कहर का सामान
गुम थे सुम थे
लौट आए हम।
..फिर सुलगते रह गए अरमान।
वाह.....दो पंक्तियों में कमाल .....!!
"गुम थे सुम थे" का अंदाज़ निराला है।
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