शुक्रवार, 22 मई 2009

गोमती किनारे - ब्लॉग पर मेरी दूसरी कविता

गोमती किनारे
बादर कारे कारे
बरस रहे भीग रहे
तन और सड़क कन
घहर गगन घन
धो रहे धूल धन
महक रही माटी.

बही चउआई
सहेज रही गोरी
केश कारे बहक लहक कपड़े
कजरारे नयन धुन
गुन चुन छुन छहर
फहर बिखर शहर सरर
चहक उठे पनाले.

बिजली हुई गुल
पहुँची गगन बीच
हँसती कड़क नीच
ऊँची उड़ान छूटी जुबान
जवान जान खुद को
नाच उठी
भुनते अनाज सी.

....
....
सब कुछ हो गया
खतम हुआ
खोया रहा साँस रोके
सब कुछ सोच लिया
घर घुस्सी तू आलसी !

18 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी कविता है। पढ़कर मुझे केदरनाथ अग्रवाल की कविता हवा हूं मैं याद आ गई। यदि नहीं पढ़ी हो, तो इसे जरूर पढ़ें। आप आलसी निकले, वरना मौसम के इस शस्त्र-संधान के दो चार फोटु निकालकर कविता के साथ लगा सकते थे। इससे अहमदाबाद में 44 डिग्री पर झुलसते हम जैसे कमनसीबों को भी थोड़ी राहत मिल जाती। वैसे लखनऊ की शाम की बारिश का मुझे भी व्यक्तिगत अनुभव है, दस साल जो लखनऊ में रहा हूं।

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  2. '
    चढ़ी पेड़ महुआ
    थपाथप मचाया
    गिरी धम्म से फिर
    चढ़ी आम ऊपर
    उसे भी झकोरा
    किया कान में ''कू''
    उतर कर भगी मैं
    हरे खेत पहुँची
    वहाँ गेहुँओं में
    लहर खूब मारी।
    '
    हवा हूं मैं , केदारनाथ अग्रवाल

    क्या अभिव्यक्ति है !

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  3. एक लखनवी को दूसरे लखनवी का प्रणाम, बहुत बढ़िया रचना है।

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  4. गर्मी में बरसात की कविता दिया उछाल।
    रचना बेहतर है कोई उठता नहीं सवाल।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  5. आंचलिकता की महक से सजी
    गाँव की गोरी-जैसी कविता!

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  6. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  7. आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
    चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

    गार्गी

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  8. चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है । लिखते रहीये हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  9. तन और सड़क कन
    घहर गगन घन
    धो रहे धूल धन

    कजरारे नयन धुन
    गुन चुन छुन छहर
    फहर बिखर शहर सरर

    kamaal kamaal ki panktiyaan istemaal huyee hai :)

    www.pyasasajal.blogspot.com

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  10. Aapkee rachnaape kuchh bhee tippanee karun, ye ikhtiyaar anhee...ya qabiliyat nahee..!
    Jaanti hun, ki,kayee baar bohot jald baazeeme "post" kar detee hun..lekin, offline likh,baadme kisi karanvash "transliteration" hohee nahee pata...mujhe online hee likhna padta hai..aur yaa to tabhee ke tabhi sampadan ho yaa phir "post" ke pashchyat..warna, "curser" aise daudta hai, jaise chooheke peechhe billee lagee ho..!

    Ho sake to in mushikilaat ko/galtiyonko maaf karen..nazarandaz karen, aisa to nahee keh sakti..! Kyonki inhee tippaniyon dwaara seekhtee rehtee hun!

    Net aksar share karti hun...to samaypebhi kaafee maryada rehtee hai..aapkee shukrguzaar hun,ki, itnee wyast taake baavjood aaplog padhte hain, aur comment bhee karte hain!
    Tahe dilse dhanywaad!

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  11. घर घुस्सी तू आलसी!!
    बढिया लगी...

    सुस्वागतम्...

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  12. Namaskar!
    "shared" netse mera matlab hai, sirf net nahee, jahan mera desk top hai,wo kamraabhi shared hai. Pariwaar, mera kaam adi sab karke, mujhe unki suvidhanusar kamreka ya netka istema karna padta hai.
    Gar koyi kehta hai, ki, ekdamse utho,do mins ke andar mujhe uth jana padta hai! Chahe wo mera putr ho ya pati!
    Jaise maine kaha, "sahej"neke baad mai sampadan nahee kar patee...wo software ki kuchh samasya hogi....aur gar mai Mumbai me hoti hun, to "Reliance" ki hee net suvidha mujhe uplabdh hoti hai, jo,ki, behad slow hai...jo lekh mai, 30 mins me type aur sampadit kar saktee hun, use wahan, 3 ghante lag jaate hain! Aiseme mere gharwale gar kehte hain, ki, hame isee waqt khana chahiye yaa kuchh aur,to mere aage paryaay nahee hotaa..aksar mai "post" pe click karte samay maafee maang letee hun..!
    Kayi baar raatko 1 bajeke baad likh paatee hun...usme mere kaamkaaji e-mails adi sab shamil hote hain!
    Ye purush pradhan samaj hai to hai! Meree maryadayen, uske tehet hain! Kisi office me net nahee share karti..balki, comp mera apna hai...phirbhi, " Apnehee band aasmanonki, bhatakti huee ek badree" , ye mere wajoodkaa saty hai..
    Aapke sujhaw shat pratishat sahee hain, usme koyi shanka nahee...ab maine khulke aapke aage meree samasya rakh dee..! Aur likhte samay,gar koyi sirpe khada hoke, ekek pal ghadeese gine,to aap samajh sakten hain, agla kitna asamanjas aur apraadh bodh tale dab jaata hai!

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  13. बेहतर है श्रीमान...
    शुभकामनाएं.....

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  14. गोमती किनारे
    बादर कारे कारे
    बरस रहे भीग रहे
    तन और सड़क कन
    घहर गगन घन
    धो रहे धूल धन
    महक रही माटी.

    बहुत अच्छा लिख रहे हैं आप गिरिराज जी ....नया कुछ डालिए अब ....!!

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  15. बहुत सुंदर…....बहुत अच्छा लगा आप के ब्लाग पर आकर....

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