बात पुरानी है. देवरिया के जी.आइ.सी में मैं नवीं में था. वार्षिक समारोह या जिला स्तरीय खेल कूद प्रतियोगिता थी जिसके दौरान काव्य अंत्याक्षरी जैसी प्रतियोगिता भी हुई थी. उसी में मैंने सुनी थी ये पंक्तियाँ:
"एक बार फिर जाल फेंक रे मछेरे
जाने किस मछ्ली में बन्धन की चाह हो."
आज तक वह पूरा गीत और उसके गीतकार का नाम ढूढ़ रहा हूँ. नहीं मिले.
सम्भवत: आप मेरी सहायता कर सकें ?
Kavita thi "बुद्धिनाथ मिश्र" ji ki.
जवाब देंहटाएंPuri nahin mil paayee mujhe bhi.
जी हाँ। यह बुद्धिनाथ मिश्र जी की ही रचना है, जो जमशेदपुर में भी पढ़ के गए है। यूँ तो बात पुरानी है, लेकिन मैं कोशिश करता हूँ कि पूरी रचना आपको उपलब्ध करा सकूँ।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
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shyamalsuman@gmail