जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
गजब...विशालतम लघु!!बधाई.
बाप रे ..इतने कम शब्दों में इतना भारी भरकम....लंठ का ही काम हो सकता है।अजय कुमार झा
वाह! ..!
पूरा हक बिना शक ।
waah!आप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
केनेशितम प्रेशितम मन:। केन प्रथम श्वास --- यह तो प्रश्नोप्निषद हो गया बन्धु!
हम भी उड़न छू हो रहे हैं...गजब...विशालतम लघु!!यह जो चित्र है...क्या आप ही चित्रियाएं हैं...
पहली सांस पर पक्का हक़ है? इसमें तो कोई शक नहीं?
हक पर शक, साँस पर शक,प्रदूषित वायुमंडल पर शक ............जो भी हो, सार्थक और उच्च कोटि की बढ़िया रचना की रचना की है.आप निश्चित रूप से हार्दिक बधाई के हकदार है, इसमे तनिक भी शक कमसे कम मुझे तो नहीं है............चन्द्र मोहन गुप्तजयपुरwww.cmgupta.blogspot.com
गजब...विशालतम लघु!!
जवाब देंहटाएंबधाई.
बाप रे ..इतने कम शब्दों में इतना भारी भरकम....लंठ का ही काम हो सकता है।
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
वाह! ..!
जवाब देंहटाएंपूरा हक बिना शक ।
जवाब देंहटाएंwaah!
जवाब देंहटाएंआप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
केनेशितम प्रेशितम मन:। केन प्रथम श्वास --- यह तो प्रश्नोप्निषद हो गया बन्धु!
जवाब देंहटाएंहम भी उड़न छू हो रहे हैं...
जवाब देंहटाएंगजब...विशालतम लघु!!
यह जो चित्र है...क्या आप ही चित्रियाएं हैं...
पहली सांस पर पक्का हक़ है? इसमें तो कोई शक नहीं?
जवाब देंहटाएंहक पर शक,
जवाब देंहटाएंसाँस पर शक,
प्रदूषित वायुमंडल पर शक ............जो भी हो,
सार्थक और उच्च कोटि की बढ़िया रचना की रचना की है.
आप निश्चित रूप से हार्दिक बधाई के हकदार है, इसमे तनिक भी शक कमसे कम मुझे तो नहीं है............
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com