शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

अति लघु













हक है,
सुबह की पहली साँस पर केवल।
उसके आगे
शक है।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बाप रे ..इतने कम शब्दों में इतना भारी भरकम....लंठ का ही काम हो सकता है।

    अजय कुमार झा

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  2. waah!

    आप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  3. केनेशितम प्रेशितम मन:। केन प्रथम श्वास --- यह तो प्रश्नोप्निषद हो गया बन्धु!

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  4. हम भी उड़न छू हो रहे हैं...
    गजब...विशालतम लघु!!

    यह जो चित्र है...क्या आप ही चित्रियाएं हैं...

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  5. पहली सांस पर पक्का हक़ है? इसमें तो कोई शक नहीं?

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  6. हक पर शक,
    साँस पर शक,
    प्रदूषित वायुमंडल पर शक ............जो भी हो,

    सार्थक और उच्च कोटि की बढ़िया रचना की रचना की है.

    आप निश्चित रूप से हार्दिक बधाई के हकदार है, इसमे तनिक भी शक कमसे कम मुझे तो नहीं है............

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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