जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
आपकी ये कविता पसंद आई....उम्मीद है आगे भी इस तरह की रचना आपके ब्लॉग पर देखने को मिलेगी
सुन्दर कविता : आभार पुरानी डायरी का
पुरानी डायरी भी कमाल है इतना सुन्दर गीत्! शुभकामनायें
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
कम शब्दों में बढ़िया रचना . आभार
यह तो पुरानी डायरी का नया गीत निकल आया ! स्तब्ध करता !
उस शाम को बुद्ध दर्शन में खो गए थे... !
अापकी रचना अच्छी लगी !!
sundar rachana
उजली रात-तिमिर विहानअन्धा जीवन भोग !कितना सुख है शूलों में,दु:खी बुद्ध हैं भीत।क्या गाऊँ मैं गीत?-बेहतरीन!! गजब!
बेहतरीन लिखा है. अफ़सोस होता है अपनी डायरियां क्यों नष्ट कर डाली ..
सुन्दर रचना
सुन्दर रचना है ......... आपकी डायरी कमाल की है ..........
तो पुरातत्ववेत्ता यहाँ भी है ..।
धुएँ में जीता श्मशानचलती लाशें लोग।कागज के इन फूलों मेंउलझी सारी प्रीत।क्या गाऊँ मैं गीत ?बहुत खूब!
आपकी ये कविता पसंद आई....उम्मीद है आगे भी इस तरह की रचना आपके ब्लॉग पर देखने को मिलेगी
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता : आभार पुरानी डायरी का
जवाब देंहटाएंपुरानी डायरी भी कमाल है इतना सुन्दर गीत्! शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बढ़िया रचना . आभार
जवाब देंहटाएंयह तो पुरानी डायरी का नया गीत निकल आया ! स्तब्ध करता !
जवाब देंहटाएंउस शाम को बुद्ध दर्शन में खो गए थे... !
जवाब देंहटाएंअापकी रचना अच्छी लगी !!
जवाब देंहटाएंsundar rachana
जवाब देंहटाएंउजली रात-तिमिर विहान
जवाब देंहटाएंअन्धा जीवन भोग !
कितना सुख है शूलों में,
दु:खी बुद्ध हैं भीत।
क्या गाऊँ मैं गीत?
-बेहतरीन!! गजब!
बेहतरीन लिखा है.
जवाब देंहटाएंअफ़सोस होता है अपनी डायरियां क्यों नष्ट कर डाली ..
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है ......... आपकी डायरी कमाल की है ..........
जवाब देंहटाएंतो पुरातत्ववेत्ता यहाँ भी है ..।
जवाब देंहटाएंधुएँ में जीता श्मशान
जवाब देंहटाएंचलती लाशें लोग।
कागज के इन फूलों में
उलझी सारी प्रीत।
क्या गाऊँ मैं गीत ?
बहुत खूब!