जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
रात की हो प्रात से यह बात नित ही,तृप्त मन की आस सिमटी संघनित सी,व्याप्त मेरी देह में अनुकूल सिहरन,ओस बनकर टिमटिमाती संफलित सी।
hmmm
रात की हो प्रात से यह बात नित ही,
जवाब देंहटाएंतृप्त मन की आस सिमटी संघनित सी,
व्याप्त मेरी देह में अनुकूल सिहरन,
ओस बनकर टिमटिमाती संफलित सी।
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