भोर दिखा
भर निशा जागा सोम
मुस्कुराता
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अवगुंठन जगी साँवरी सूर्या साथ
चमक रही माँग रोली नवविवाह
प्रात पूर्ण उद्योग
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प्रस्फुर उल्लास बदन वदन
उमंग साँवरी देह हिरण्य द्युति
संगति साजन उपहार कंचन कंचन
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द्वितीयोनास्ति प्रेम समर्पण
सोम दृग चन्द्रिकामृत अंग अंग
सूर्या गौर तेजस्विनी निज हिरण्य समो
दिनकराय नमः
जवाब देंहटाएंतव सुप्रभातम्
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