अन्न की बात कीजिये हुजूर
देवालय की अक्षत हो
या शौचालय की मल मल
उसे तो होना है जरूर
रोटी की बात कीजिये हुजूर
बहुत पहले ही उतर चुका
ऐसे नारों का शुरूर
घट्टा पड़ चुकी हैं आदतें
हँसते हैं बन के चूतिया
हम जाहिल मगरूर
फिर भी जलन नहीं होती सहन
होती है जो पेट में मजबूर
लगने पर देख लेंगे
पहले लगाइये तो हुजूर
अन्न की बात कीजिये हुजूर!
सब सोचते हैं कि उनकी मूढ़ता हम समझते नहीं हैं, झटकिया बयान दे देते हैं।
जवाब देंहटाएं