मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011

आओ लक्ष्मी!


harsingar
आओ लक्ष्मी!
अमावस काली बहुत
नभ स्याह, नखत भर रहे आह
धरा फूले शुभ्र हरसिंगार,रह रह कराह
आओ लक्ष्मी!

फैली सुगन्ध, झूले केसर कदम्ब
भर किलकारी,
आओ लक्ष्मी!

कैसी समृद्धि?
रोग भरे अस्पताल
जन जन अपराध,
गले हार अजन्मे मुंडमाल
कुक्षि परीक्षण, गर्भपात,
कैसी ममता, कहाँ गर्भनाल?
सृष्टि शृंगार? उत्स संहार,
पूजन दीप जले चौबार
कृष्ण पथ बिछी आँख आँख,
रची रंगोली द्वार द्वार
भेद अन्धकार,
जगा कुंडलिनी सहस्रसार
खिलखिलाती
आओ लक्ष्मी!

जग जायँ, बन जायँ,
सँवर जायँ सबके भाग
आओ लक्ष्मी!

भूले माया, पुरुष बिना माय धाय?
कलुष विपदा हृदय हार,
लज्जा कहते अर्धनार
बुद्धि भोथरी, छल बल पाश,
असफल हाथ गहे काँप
पौरुष हीन शान,
लिखने अपने हाथ भाग्य
निकलो लक्ष्मी!

खंड खंड अंत पाखंड,
बुझें छलिये मोहन दीप
मुक्त करो मन मुक्ता आब,
सजें स्वाती साहस सीप।
आओ लक्ष्मी!

फूले धरा शुभ हरसिंगार,
फैली सुगन्ध, केसर कदम्ब
भर किलकारी,
आओ लक्ष्मी!

kadamb

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपके मित्रों, परिजनों के साथ आपको भी पर्व की मंगलकामनायें!
    तमसो मा ज्योतिर्गमय!

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  2. आओ लक्ष्‍मी .. सब पुकार रहे हैं ..
    .. आपको दीपोत्‍सव की शुभकामनाएं !!

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  3. शुभकामनाएँ।
    ज्योतिपर्व मंगलमय हो।
    मन को सकारात्मक रखने में ही कल्याण हैं।

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  4. आपको और आपके सभी प्रियजनों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  5. इस आह्वान के बाद लक्ष्मी जरुर आयी होंगी ..
    वैसे इस गीत को सरस्वती को समर्पित करना चाहिए

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