बुधवार, 13 जुलाई 2011

सावन में काली माई

सूखे ई सावन मनवा के धार
जोगी जनि आवऽ हमरे दुआर।

बदरी तनिहें काली माई
झम झम बरसिहें काली माई
नीब नगीचे न कौनो जाई
जगती पर बरही रहि जाई
कइसे झुलिहें पेंगी पार?
जोगी जनि आवऽ हमरे दुआर।

जर जड़इया काली माई

बिस्तर पर सुतिहें काली माई
टीबी देखिहें काली माई
कजरी छटिहें काली माई
रोअते रहि जाई नीबिया छतनार
जोगी जनि आवऽ हमरे दुआर।

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