परिवारी नैन झरोखे
करते रह गये निगरानी।
किंवाड़ चौखट झरोखे
झाँकते दो नैन झरोखे
प्रेम छ्ल उतरा
अधर दबा दाँतों से।
अंगुलियाँ हुईं मेरी घायल
किंवाड़ चौखट बीच पिस,
और चीख निकली तुम्हारी।
होती रही निगरानी
बात करती रही सयानी
लेकर मेरा कर अपने कर
होठों की फूँक में
लेकर मेरी सिसकारी
बच्चे हो क्या?
वहाँ ऐसे हाथ रखते हैं भला?
बहुत पिरा रही है?
बुद्धू! कुछ नहीं समझते।
...
...
हाँ, मुझे पीर की समझ नहीं
तुम्हारे बिना अब तो और नासमझ हूँ।
सावन कs पहली फुहार जस
जवाब देंहटाएंबरसत हौ चौचक प्रेम रस।
..मजा आ गयल।
उत्कृष्ट!
जवाब देंहटाएंकब हुआ ऐसा -अंगुली अब चौचक है ?
जवाब देंहटाएंअंगुली दबने पर चीख के संग ढेरों प्रेम भी बहा है।
जवाब देंहटाएंमन ही मन पीर पिरइबो करे.......
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