सीलिंग पर चिपकाये स्फुरदीप्त तारागण निहारिकायें
प्रकाश बुझा और तन गया आकाश बेडरूम में
सोचा कि बताऊँ बच्चे को अनंत की कुछ बातें
लेकिन सो गया था वह गहरी नींद में।
गर्मियों की खुली छत, हवा मद्धिम
तना चम चम अद्भुत अन्हरिया आसमान
पिता के साथ लेटना छत पर पूछने को ढेरों सवाल
वह बताते और मैं सुनता, न थकता और न सोता
जब तक कि वह 'आदेश' न दें।
काल की उछाल एक पीढ़ी में ही कितनी बदल जाती है!
बच्चे ने जब घर में कृत्रिम तारे लगवाये तो अपने घर की छत याद आ गयी।
जवाब देंहटाएंaur log kehte hain waqt badlega.. wo to badal hi raha hai.
जवाब देंहटाएंsunder prastuti.
काल की उछाल में न जाने क्या -क्या बदला है .!
जवाब देंहटाएं' ग्लोइंग स्टार्स 'अच्छे तो लगते हैं'!
Waah..
जवाब देंहटाएंहम्म!
जवाब देंहटाएंकाल का पहिया, घूमे भैया ... आज की पीढी सितारे मुट्ठी में बान्धना जानती है। :)
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