गिन रहा हूँ क्षत चिह्न
जो तुमने दिए -
मन था जब
चरम प्रसन्न
और थी आस हुलास ।
तुमने
फुफकार दिए अवसाद श्वास।
थमता गया ज्वार
पानी पड़े ज्यों दूध उबाल।
क्या नेह का यही है प्रतिदान?
या मोद की नियति यही?
उफने क्षण भर को
और शमित हो जाय
बच जाय केवल दाह?
हर क्षतचिह्न है
मेरी एक नई हार का प्रमाण!
नहीं,
मेरे स्वास्थ्य का प्रमाण।
हर घाव से, हर आह से
मैं मुक्त हो सकता हूँ
पुन: उठ खड़ा हो सकता हूँ -
एक नए घाव को तैयार।
चाहत के युद्ध
(स्मित)
तुम वार वार
मैं निवार निवार
न तुम थकते
न मैं थकता।
सोचता हूँ
क्या होगी कभी
किसी की हार?
नहीं, युद्ध शाश्वत है,
न मैं थमूँगा और न तुम।
नेह कैसा जो थम जाने दे?
थम जाने पर नेह कैसा?
कैसा युद्ध?
कैसे क्षत चिह्न?
क्यों गिनना?
यह कैसी चाहत ?
क्षत चिह्न गिने जा रहे जिसमें!
गिन रहा हूँ नेह चिह्न सब।
नेह! क्षत नहीं?
हाँ, नेह।
युद्ध को जला सकता है
जवाब देंहटाएंअसत को ला सकता है
सत तक
क्षतना को अक्षत तक
नेह.
मुझे कामसूत्र की नख क्षत फोरप्ले की याद क्यूं हो आयी
जवाब देंहटाएंयह कैसी चाहत ?
जवाब देंहटाएंक्षत चिह्न गिने जा रहे जिसमें!
गिन रहा हूँ नेह चिह्न सब।
बहुत गहरे भाव लिये सुन्दर अभिव्यक्ति। शुभकामनायें
क्षत चिन्हों को याद बना कर रखता हूँ,
जवाब देंहटाएंपीड़ा क्षारी स्वाद चढ़ाकर रखता हूँ,
कहने को तो सब कुछ भूल चुका हूँ मैं,
हृदय कहीं अवसाद छिपा कर रखता हूँ।
बड़ा कंट्रास्ट है जी इस कविता में.
जवाब देंहटाएं@ हर घाव से, हर आह से
जवाब देंहटाएंमैं मुक्त हो सकता हूँ
पुन: उठ खड़ा हो सकता हूँ -
एक नए घाव को तैयार।
...उत्कट जीजीविषा !!
क्रमवार अच्छी कवितायेँ --
जवाब देंहटाएं1.नाराज़ न हो बेटे! नाराज़ न हो।
2.टिप्पणी नहीं चाहिए। No comments please!
3.तुम्हारे साथ अच्छी बीती
4.लाइट ले यार!
सोचता हूँ
जवाब देंहटाएंक्या होगी कभी
किसी की हार?
नहीं, युद्ध शाश्वत है,
न मैं थमूँगा और न तुम।
एक बेहतर कविता...
नेह कैसा जो थम जाने दे?
जवाब देंहटाएंथम जाने पर नेह कैसा?
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नेह कैसा जब है युद्ध! युद्ध भी नहीं है नेह ही!..क्षत चिन्ह युद्ध के नहीं नेह पीर के हैं.