रविवार, 5 सितंबर 2010

लाइट ले यार!

ये कैसा इश्क है तेरा दिलवर?
जहाँ छूते हो वहीं दुखता है। 

दूसरा वर्जन: 

ये कैसा इश्क है तेरा दिलवर?
वहीं छूते हो जहाँ दुखता है।


14 टिप्‍पणियां:

  1. दिलवर नहीं ... दिलबर ...दिलबर.... ब .... ब .... ही ही ही...


    लिखा तो बहुत सही है...

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  2. हऊ गनवा नाही सुने हैं.... दिलबर दिलबर.... हाँ ! दिलबर दिलबर... होस न खबर है... इ कइसा असर है... तोरे आने से दिलबर....

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  3. आज तो रविवार है . 'दिलवर' की छुट्टी ! '....' में श्लेष है !

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  4. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
    कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
    और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

    शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  5. बहुत ही बढ़िया कविवर...दूसरा रंग ज्यादा दिल के करीब लगा।

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