जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा। http://charchamanch.blogspot.com
दिलवर नहीं ... दिलबर ...दिलबर.... ब .... ब .... ही ही ही...
जवाब देंहटाएंलिखा तो बहुत सही है...
दिलवर = The Lover
जवाब देंहटाएं;)
अरे....भाई ....आज हमरी भी छुट्टी है....
जवाब देंहटाएंदिलबर माने लवर होता है.... ही ही ही....:)
जवाब देंहटाएंहऊ गनवा नाही सुने हैं.... दिलबर दिलबर.... हाँ ! दिलबर दिलबर... होस न खबर है... इ कइसा असर है... तोरे आने से दिलबर....
जवाब देंहटाएंहई गनवा सूस्मिता सेन पर फिलमाया गया है....
जवाब देंहटाएंआज तो रविवार है . 'दिलवर' की छुट्टी ! '....' में श्लेष है !
जवाब देंहटाएंधन्य आचार्य!
जवाब देंहटाएंये हो क्या रहा है ?
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
गज़ब का रंग।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया कविवर...दूसरा रंग ज्यादा दिल के करीब लगा।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!
जवाब देंहटाएंवाह! इश्क़ है तौ दुखैगा ही।
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