सोमवार, 15 अगस्त 2011

आज 'नरक के रस्ते' से एक अंश


ये लाल किले की प्राचीर पर 
कौन चढ़ गया है ?
सफेद सफेद झक्क खादी। 
लाल लाल डॉलर नोट
लाल किला सुन्दर बना है
कितने डॉलर में बना होगा ..
खामोश 
देख सामने
कितने सुन्दर बच्चे! 
बाप की कार के कंटेसियाए बच्चे
साफ सुथरी बस से सफाए बच्चे 
रंग बिरंगी वर्दी में अजदियाए बच्चे 
प्राचीर से गूँजता है: 
मर्यादित गम्भीर 
सॉफिस्टिकेटेड खदियाया स्वर 
ग़जब गरिमा !
”बोलें मेरे साथ जय हिन्द !”
”जय हिन्द!”
समवेत सफेद खादी प्रत्युत्तर 
“जय हिन्द!“
”इस कोने से आवाज धीमी आई
एक बार फिर बोलिए – जय हिन्द” 
जय हिन्द , जय हिन्द, जय हिन्द
हिन्द, हिन्द, हिन् ...द, हिन् ..
..हिन हिन भिन भिन 
मक्खियों को उड़ाते 
नाक से पोंटा चुआते 
भेभन पोते चन्नुल के चार बच्चे
बीमार – सुखण्डी से।
कल एक मर गया।
अशोक की लाट से 
शेर दरक रहे हैं 
दरार पड़ रही है उनमें ।
दिल्ली के चिड़ियाघर में 
जींस और खादी पहने 
एक लड़की 
अपने ब्वायफ्रेंड को बता रही है,
”शेर इंडेंजर्ड स्पीशीज है 
यू सिली”।

2 टिप्‍पणियां:

  1. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

    कितना विरोधाभास है हमारे यहाँ...आँखें खोलती रचना...अद्भुत शिल्प प्रयोग...

    नीरज

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