सोमवार, 18 अप्रैल 2011

कविता गल्प : ... न थकेंगी

पाँखें थमी हैं 
परी थकी है 
सेज लगी है
पलकें भरी हैं
आँखें नमी हैं 
सपन सजने आयेंगे? 
सजन सपने आयेंगे? 
सजन अपने आयेंगे?
सजन आयें, न आयें 
आँखें मुदेंगी
निंदिया आयेगी
सपन आयेंगे
आँखें नमेंगी
पलकें भरेंगी
बस, बस! 
पाँखें उड़ेंगी
न थकेंगी। 


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