सब ठीक है देश में
सिवा एक किरकिरी के
जिसने हर पलक
हर झपक
को अवांछित कर रखा है
आँखें हैं कि हर पल खुली नहीं रह सकतीं
दृश्य में, देखने में, दिखाने में आनन्द नहीं
बन्द रहें तो भी कैसे
बस एक किरकिरी ने
हर पलक को दुखी कर रखा है!
सिवा एक किरकिरी के
जिसने हर पलक
हर झपक
को अवांछित कर रखा है
आँखें हैं कि हर पल खुली नहीं रह सकतीं
दृश्य में, देखने में, दिखाने में आनन्द नहीं
बन्द रहें तो भी कैसे
बस एक किरकिरी ने
हर पलक को दुखी कर रखा है!
दुखने लगी हैं, अपने अस्तित्व को आँखें।
जवाब देंहटाएंहम्म!!
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