चिपके केश स्वेद सने ललाट पर
उठी चुम्बन चाहना अ-काम
झिझका ठिठका सकाम सोच
तुम क्या कहोगी, लोग क्या कहेंगे
उमगा क्षार नयन द्वार टपकी बूँदें
कपोलों को ऐसे भी भीगना था -
उठी चुम्बन चाहना अ-काम
झिझका ठिठका सकाम सोच
तुम क्या कहोगी, लोग क्या कहेंगे
उमगा क्षार नयन द्वार टपकी बूँदें
कपोलों को ऐसे भी भीगना था -
अवशता पर!
kapolon ke bheegne ki ek aur wajah! wah!
जवाब देंहटाएंभावों को बांध न सके तो बाँध टूटते हैं!
जवाब देंहटाएंसिमित शब्दों में भावों को समेट लिया है.
लोग क्या कहेंगे, लोग क्यों कहेंगे, लोग कहते रहें।
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