मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

...प्रार्थना में।


ज्योतिहीन जब तनेगा वितान
और सो जायेंगी ध्वनियाँ
अनंत समय के लिये; 
मेरी अंगुलियाँ होंगी दशनेत्र 
मैं थाम लूँगा तुम्हें तम में ढूँढ़ कर
और भर दूँगा सप्तक त्वचा छूती वायु में-
मेरी देह तुम्हारी होगी। 

जीवन की लय पा लेगी अपनी स्वतंत्रता 
मैं नहीं रह जाऊँगा कारा भर और माँगूगा और 
उस दिन मैं झुकूँगा - 
प्रार्थना में।