जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
शनिवार, 29 दिसंबर 2012
मंगलवार, 18 दिसंबर 2012
...प्रार्थना में।
ज्योतिहीन जब तनेगा वितान
और सो जायेंगी
ध्वनियाँ
अनंत समय के लिये;
मेरी अंगुलियाँ होंगी दशनेत्र
मेरी अंगुलियाँ होंगी दशनेत्र
मैं थाम लूँगा
तुम्हें तम में ढूँढ़ कर
और भर दूँगा
सप्तक त्वचा छूती वायु में-
मेरी देह तुम्हारी होगी।
मेरी देह तुम्हारी होगी।
जीवन की लय पा
लेगी अपनी स्वतंत्रता
मैं नहीं रह
जाऊँगा कारा भर और माँगूगा और
उस दिन मैं झुकूँगा -
प्रार्थना में।
उस दिन मैं झुकूँगा -
प्रार्थना में।
रविवार, 9 दिसंबर 2012
घर तो आने दो!
न दोष दो इन आँखों को
न गाल पसरी बेशर्म लाली को
है खास कुछ इस जगह में, हवाओं में भी कुछ जहर है।
आँखें होंगी पाक गाल होंगे सफेद फिर, घर तो आने दो!
है खास कुछ इस जगह में, हवाओं में भी कुछ जहर है।
आँखें होंगी पाक गाल होंगे सफेद फिर, घर तो आने दो!
सोमवार, 3 दिसंबर 2012
राग घरनी
नत ललाट पर बिखरी अलकें
प्राची में सिन्दूर लगे
प्राची में सिन्दूर लगे
नयन सरोवर पुरइन भँवरे
कपोल पराग छू छिड़क भगे
कपोल पराग छू छिड़क भगे
हाथों के अर्घ्य अमर
जूठे बासन धो गंगाजल
जूठे बासन धो गंगाजल
अन्न अग्नि आहुति सहेज
चूड़ियों ने कुछ सूक्त पढ़े।
चूड़ियों ने कुछ सूक्त पढ़े।
नेह समर्पण भावों का ज्यों
मिथकों के अम्बार गढ़े
मिथकों के अम्बार गढ़े
रुँधे गले कुछ कह न पाये
मौन शब्द आभार पढ़े
मौन शब्द आभार पढ़े
ओस सजी दूब फिसलती
आँखों में आराधन है
क्षितिज मिलन के नव्य मधुरआँखों में आराधन है
साँसों में ओंकार जगे।
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एक रंग यह भी:
भोजन छ्न्द
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