जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
वाह! जान और जहान एवं तुक की संगति पर यह विकल्प मेरे मन में भी आया था लेकिन प्रयोग नहीं किया क्यों कि जो अर्थ चाहता था उसकी हत्या हो रही थी :) असल में साहित्य का अध्ययन सीमित होने से ऐसी स्थितियों से दो चार होता रहता हूँ। उस समय मैं अर्थ ,वह भी अपने सोचे, को प्राथमिकता देता हूँ। लेकिन इस बार विकल्प रूप में यह शब्द भी दे दे रहा हूँ। धन्यवाद।
ठीक कह रहे हैं। अर्थ की हत्या हो रही है। 'हजार' बदलेंगे तब आपको 'सौ' भी बदलना पड़ेगा। तब मिसरा शायद यह बने..
छुयें सूरज सरवर औ कमल जहान खिलें।
जहान का अर्थ इहलोक, मयालोक भी होता है। तब इसका अर्थ यह हो जायेगा कि सूरज के स्पर्श से कमल रूपी मायालोक खिल जाता है। अर्थात सूरज (ईश्वर) की कृपा से ही यह इहलोक निर्मित होता है। अब पूरे को जोड़कर अर्थ लगाते हैं...
ब्लॉग जगत की यही तो विशिष्टता है। देखिये आप ने नये अर्थ दे दिये। हाँ, इसे वैसे ही रहने देता हूँ माने हजार और जहान दोनों :) बल्कि आप की सुझायी पूरी पंक्ति दे दे रहा हूँ।
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंकमल जहान खिलें... लिखें तो?
वाह! जान और जहान एवं तुक की संगति पर यह विकल्प मेरे मन में भी आया था लेकिन प्रयोग नहीं किया क्यों कि जो अर्थ चाहता था उसकी हत्या हो रही थी :)
हटाएंअसल में साहित्य का अध्ययन सीमित होने से ऐसी स्थितियों से दो चार होता रहता हूँ। उस समय मैं अर्थ ,वह भी अपने सोचे, को प्राथमिकता देता हूँ। लेकिन इस बार विकल्प रूप में यह शब्द भी दे दे रहा हूँ।
धन्यवाद।
ठीक कह रहे हैं। अर्थ की हत्या हो रही है। 'हजार' बदलेंगे तब आपको 'सौ' भी बदलना पड़ेगा। तब मिसरा शायद यह बने..
हटाएंछुयें सूरज सरवर औ कमल जहान खिलें।
जहान का अर्थ इहलोक, मयालोक भी होता है। तब इसका अर्थ यह हो जायेगा कि सूरज के स्पर्श से कमल रूपी मायालोक खिल जाता है। अर्थात सूरज (ईश्वर) की कृपा से ही यह इहलोक निर्मित होता है। अब पूरे को जोड़कर अर्थ लगाते हैं...
यूँ कहना तुम्हारा और सुनना हमारा
छुयें सूरज सरवर औ कमल जहान खिलें।
तुम सूरज के मानिंद ईश्वर की वह प्रतिमूर्ति हो जिसके स्पर्श से ही मैं कमल जहान की तरह खिल जाता हूँ। मैं माया निर्मित हूँ और तुम ईश्वर।
....आप इसे वैसा ही रहने दें। अपने लिखे को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। मेरा मूड आ गया जो शब्दों से खेलकर आनंद लिया। यहाँ लिखा कि आप भी आनंद लें..बस्स।
ब्लॉग जगत की यही तो विशिष्टता है। देखिये आप ने नये अर्थ दे दिये। हाँ, इसे वैसे ही रहने देता हूँ माने हजार और जहान दोनों :) बल्कि आप की सुझायी पूरी पंक्ति दे दे रहा हूँ।
हटाएंई बात है!! :D
हटाएंअहा..
जवाब देंहटाएंwah....
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