फरमाइश जब उठी मंच से
'एक विद्रोही कविता हो जाय!'
जेब से निकाल मुड़ा तुड़ा
पहला प्रेमपत्र बाँच दिया
भेजने का साहस भी
न जुटा पाया जिसके लिये।
'एक विद्रोही कविता हो जाय!'
जेब से निकाल मुड़ा तुड़ा
पहला प्रेमपत्र बाँच दिया
भेजने का साहस भी
न जुटा पाया जिसके लिये।
सच में साहस की बात है..
जवाब देंहटाएंये बहुत बड़ा साहस है जिसे भेज नहीं आए उसे सबके सामने स्वीकार करना ...
जवाब देंहटाएंus vidrohi kavita ka
जवाब देंहटाएंkehna sunna kaisa hoga?
saahas bhi na juta paye,
jise bhejne ke liye.
Ab bata bhi dijiye rao sahab. ;-)
हम्म!
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