बुधवार, 15 अगस्त 2012

अमर वैभव



तेरा वैभव अमर रहे ऐ माँ !
'ये दिन चार' रहें न रहें। 

5 टिप्‍पणियां:

  1. इन बेग़ैरतों ने अपनी जन्मभूमि को ही नहीं, अपनी माँ को भी तमाचा मारा है। इन्हें खुद और इन्हें उकसाने और शह देने वालों को भी कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी ही चाहिये।

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  2. इन्हें अपने निष्कर्ष अवश्य मिलेंगे, माँ के प्रति भाव दिख रहे हैं।

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  3. ये वो लोग हैं जिन्हें रुदाली-रोदन प्रिय है|

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