मंगलवार, 17 मई 2011

वीणा मेरी ले विराम अब।




वीणा मेरी ले विराम अब 
 तान पुरानी गान व्यर्थ सब। 

धूप ज्यों छाया वास
विचरे मधुमास हास 
कल्पना रूदन त्रास 
कर्कश फ्यूजन विलास
स्वर लगते नहीं साथ अब 
वीणा मेरी ले विराम अब।

जीवन मलमास गाद
स्व भावित मल अपवाद
चीखें सम्वाद शाद 
संग लय अनुनाद नाद 
ऐसे में गीत! त्रास सब 
वीणा मेरी ले विराम अब।
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8 टिप्‍पणियां:

  1. मन की वीणा कर्कश स्वर से आहत है,
    श्वानों का साम्राज्य फैलता का विधिवत है।

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  2. चलिए...
    विराम के बाद मिलते है...

    नयी तानों और सार्थक गान के साथ...

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  3. दो दो महारथियों ने शब्दार्थ पूछ कर टिप्पणी न करने के व्रत का उल्लंघन करवा ही दिया।
    भाइयों! 'शाद' फारसी मूल का है जिसका अर्थ 'सुख, आनन्द' होता है। शादी इसी शब्द से बना है।
    'शेखर एक जीवनी' तो पढ़े होंगे आप लोग? शेखर शशि के विवाह पर क्या कहता है?

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  4. एक वीणा वादक की व्यथा !...जीवन से संगीत गायब हो रहा है । सुंदर चित्रण ।

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  5. ऐसा न करें भवान ...
    वीणा को दें तनिक विश्राम ,मन अभी कुछ विश्रांत
    फिर जब नयी कोपलें फूटें तो दें एक नया राग तान

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