जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
फूलों की मत पूछो पूरा कूड़ेदान सजा कर रखा है। इधर उधर कहाँ जाते हो? कहाँ थूकोगे, कहाँ मूतोगे? देखो, तुम्हारे बिगाड़ने को, पूरा हिन्दुस्तान बना रक्खा है।
वोट भी तो वही दे रहे हैं!
जवाब देंहटाएंbehad gahari bhaw....
जवाब देंहटाएंAj to sirf India !!
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. "शब्द सृजन की ओर" पर इस बार-"समग्र रूप में देखें स्वाधीनता को"
देखो, तुम्हारे बिगाड़ने को,
जवाब देंहटाएंपूरा हिन्दुस्तान बना रक्खा है।
- जय भारत.
" देखो, तुम्हारे बिगाड़ने को,
जवाब देंहटाएंपूरा हिन्दुस्तान बना रक्खा है।"
वाह-वाह-वाह....लाजवाब...
धारदार व्यंग्य।
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
जबरदस्त व्यंग्य.... वाह वाह..
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