इतने छोटे विराम का लाभ ले यही कविता पोस्ट कर रहा हूँ। शब्द (शायद भाव भी) साभार: सुश्री वर्तिका नन्दा
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दिन
साबुन
ख्याल
धूप।
हमने
सपने धो
डाल दिए
सूखने।
सूनी आँख
साथ रात
जो जगी
वह कविता थी।
साबुन
ख्याल
धूप।
हमने
सपने धो
डाल दिए
सूखने।
सूनी आँख
साथ रात
जो जगी
वह कविता थी।