इतने छोटे विराम का लाभ ले यही कविता पोस्ट कर रहा हूँ। शब्द (शायद भाव भी) साभार: सुश्री वर्तिका नन्दा
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दिन
साबुन
ख्याल
धूप।
हमने
सपने धो
डाल दिए
सूखने।
सूनी आँख
साथ रात
जो जगी
वह कविता थी।
साबुन
ख्याल
धूप।
हमने
सपने धो
डाल दिए
सूखने।
सूनी आँख
साथ रात
जो जगी
वह कविता थी।
बहुत सुन्दर कविता है पहले भी पढी थी उनाके ब्लोग पर आभार्
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा! गहन भाव!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है......
जवाब देंहटाएंShabdon ki kya umda jadugiri hai.
जवाब देंहटाएंमेरा नाम भी बृजमोहन ही है |गवेषणा शब्द की व्याख्या व उदगम बतलाया अच्छी जानकारी मिली व्रज से ब्रज बनना |गायों को "भिनसारे " छोडा जाना बहुत दिन बाद यह शब्द पढ़ कर अच्छा लगा _भोर भी कहते है |गोधूली शब्द वाबत भी जानकारी मिली |हमारे यहाँ इतना ही सुना करते थे कि गोधूली के फेरा है (शादी में )|जानकारी अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंgalat blog par tippnee post ho gai maaf karen
जवाब देंहटाएंगवेषणा शब्द पर आपकी टिप्पणी देख कर आप तक आया ,कविता देख कर उस ब्लॉग पर गया जिनकी कविता का आप ने सारांश चाँद शब्दों में निकला | हम पढ़ते थे तब तकरीवन पचास साल पहले हम से प्रेसी करवाई जाती थी एक पेज का सारांश चाँद लाइनों में आना चाहिए ,वह याद आगया
जवाब देंहटाएंSabhi rachnayen padh gayee...sadagee aur sundarta se bharpoor...!
जवाब देंहटाएं"baagwaanee' pe tippanee ke liye dhnywad..! Jin paudhon ke hindi naam nahee diye hain,wo 'gualr' ya bargad pariwar ke hain...
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