जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
रविवार, 19 अप्रैल 2015
कश्मीर: फोटो और हाय क्यूँ
रविवार, 12 अप्रैल 2015
भइया बिदेस
भइया गये परदेस
भउजी ने रख छोड़ी है उनकी
मैली बंडी अलमारी में एक।
नज़र भर टेर
मइया बबुना की लगाती रहती हैं टेक
बबुवा भरते हैं अब धीरे धीरे डेग।
भउजी काम धाम के बीच
रह रह आती हैं कोठरी खोल
अलमारी में गमकता है बलमुआ बिदेस।
भउजी ने रख छोड़ी है उनकी
मैली बंडी अलमारी में एक।
नज़र भर टेर
मइया बबुना की लगाती रहती हैं टेक
बबुवा भरते हैं अब धीरे धीरे डेग।
भउजी काम धाम के बीच
रह रह आती हैं कोठरी खोल
अलमारी में गमकता है बलमुआ बिदेस।
शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015
गंगे! तव तीर
गंगे!
तव तीर
सूर्योदय साथ
सिमटा सारा आकाश
आजानुबाहु मैं पसार -
मैं ही ऋतु ऋत
मार्तंड मैं आदि सूक्त
परम पूत
शिव शिवा का पहला द्यूत
अर्यमा मीत
प्रथम प्रीत
जीवन शस्य
उमस
मैं विवश
दुर्धर्ष पर्जन्य
वत्सल सौजन्य
तड़ित झंझा इन्द्रवज्रा
गैरिक प्रात संझा
कोमल रागिनी छ्न्द
विहारिणी मधुर मन्द
सिहरन मैं शिशिर वातास
मैं बसंत का पहला प्रसाद।
गंगे!
भर नयन नीर
सब मैं
सब तू
तव तीर।
तव तीर
सूर्योदय साथ
सिमटा सारा आकाश
आजानुबाहु मैं पसार -
मैं ही ऋतु ऋत
मार्तंड मैं आदि सूक्त
परम पूत
शिव शिवा का पहला द्यूत
अर्यमा मीत
प्रथम प्रीत
जीवन शस्य
उमस
मैं विवश
दुर्धर्ष पर्जन्य
वत्सल सौजन्य
तड़ित झंझा इन्द्रवज्रा
गैरिक प्रात संझा
कोमल रागिनी छ्न्द
विहारिणी मधुर मन्द
सिहरन मैं शिशिर वातास
मैं बसंत का पहला प्रसाद।
गंगे!
भर नयन नीर
सब मैं
सब तू
तव तीर।
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