गुरुवार, 22 अगस्त 2013

मृत्यु का जन्म

...और तब उसने स्वयं को काट कर आधा किया
उसे अलग किया जिसे वह प्रेम कर सके
उस दिन मृत्यु का जन्म हुआ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों में अपना अस्तित्व मिटाना पड़ जाता है।

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  2. चंद पंक्तियाँ में जैसे एक कहानी कह दी है.

    उसको जो वजूद का हिस्सा बन चुका हो ,वो जो खुद में समा गया है
    उसे स्वयं से अलग करना ही मर जाना है.
    प्रेम में प्रेमी आत्मा से ही नहीं पूरे वजूद से एकाकार हो जाते हैं .

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