खेलें मसाने में होरी, दिगम्बर खेलें मसाने
में होरी
भूत पिशाच बटोरी, दिगम्बर खेलें मसाने में होरी।
लखि सुन्दर फागुनी छटा के
मन से रंग गुलाल हटा के
चिता भस्म भर झोरी, दिगम्बर खेलें मसाने में
होरी।
गोप न गोपी श्याम न राधा
ना कोई रोक ना कवनो बाधा
अरे ना साजन ना गोरी, दिगम्बर खेलें मसाने में होरी
नाचत गावत डमरूधारी
छोड़े सर्प गरल पिचकारी
पीटें प्रेत थपोरी, दिगम्बर खेलें मसाने में होरी।
भूतनाथ की मंगल होरी
देखि सिहायें बिरज की छोरी
धन धन नाथ अघोरी, दिगम्बर खेलें मसाने में होरी।
sundar
जवाब देंहटाएंफक्कड़ी, मस्ती, आवारगी और मुक्त आनन्द, भा गयी मसाने की होरी...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंपंडित छन्नूलाल मिश्रा का स्वर हो आैर यह गायक. वाह.
जवाब देंहटाएंगायक=गायन
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