जन्म:
गिन रहा हूँ आँखें मूँदे एक से सौ तक
सब छिप जायँ तो आँखें खुलें, गिनती बन्द हो।
गिन रहा हूँ आँखें मूँदे एक से सौ तक
सब छिप जायँ तो आँखें खुलें, गिनती बन्द हो।
मृत्यु:
मिल गया आइस पाइस खेल में आखिरी शाह भी
चोर ने राहत की साँस ली और खेल खत्म हुआ।
मिल गया आइस पाइस खेल में आखिरी शाह भी
चोर ने राहत की साँस ली और खेल खत्म हुआ।
जन्म से मृत्यु तक दौडता है आदमी
जवाब देंहटाएंदो रोटी एक लंगोटी दो गज कच्ची जमीन
के खातिर जिन्दगी मे धन जोडता है आदमी
और जोडते जोडते दम तोडता है आदमी.
हर ओट पर छिप कर हम समझते हैं कि मृत्यु हमें देख नहीं पा रही है..
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिये ... उत्कृष्ट प्रस्तुति।
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