सड़क पर बिछे पत्ते
हुलस हवा खड़काय बोली
आ रही होली।
पुरा' बसन उतार दी
फुनगियाँ उगने लगीं
शोख हो गई, न भोली
धरा गा रही होली।
रस भरे अँग अंग अंगना
हरसाय सहला पवन सजना
भर भर उछाह उठन ओढ़ी
सजी धानी छींट चोली।
शहर गाँव चौरा' तिराहे
लोग बेशरम बाग बउराए
साजते लकड़ी की डोली
हो फाग आग युगनद्ध होली।
~ गिरिजेश राव
चलिए शुक्र है होली पर तो आपने खोली!
जवाब देंहटाएंबोलते थे लोग न जाने कैसी कैसी बोली
आपने दी है खोलीतो कुछ हो जाए ठिठोली
देखते हैं कौन मारता है नथुनिये पर गोली
शहर गाँव चौरा' तिराहे
जवाब देंहटाएंलोग बेशरम बाग बउराए
होली की महिमा है...
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ।धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ
हुलस हवा खड़काय बोली
जवाब देंहटाएंआ रही होली।
अहा, शब्दों की ध्वनि में होली की आहट।
होली की ढेरों शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंनीरज
होली की हार्दिक शुभकामनायें।
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