रविवार, 12 जून 2016

अहिवात

बियाह की आधी सदी पश्चात
पूस की थी रात
न पूत न पतोहू न नात।
जोड़ की पीर वात
तेल के साथ 
मला काँपते हाथ 
बूढ़े की सौगात
बुढ़िया ने जाना अहिवात।
बस इतनी सी बात
दिया आशीर्वाद
हो सात जन्मों का साथ।
समवेत हास
दो अकेले स्वर्ग-वास।

1 टिप्पणी: