(1)
जानती हो?
पहले
चुंबन को
व्यक्त
कर सके नहीं
आज
तक कोई सुर,
कोई
गीत, कोई कथा -
हर थका
पहले मिलन की दुखन
चाहता है कहना
और निढाल होता है।
प्रेम है
क्यों कि मनुष्य गढ़ने में
असफल है!
(2)
उनकी हंसी
सिसकी।
प्रेम अधमरा
देह ठठरी।
... बस इतने में -
एक अरब गीत
दो खरब कहानियाँ
सदियों लंबी सिनेमाई रीलें
टेक टेर हेर फेर ...
... ढाई आखरों में
कुछ और टांकना
बस होगा दुहराना...
... नहीं पूरना मुझे
वह कहानी
मैं कुछ रखे हुये मरना
चाहता हूँ।
वाह ! प्रेम है क्योकिं....ये पंक्ति गजब है.
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