जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
@ unknown ज़ेहाद के लिये मुल्ला जब मुसलमानों को बरगलाता है तो सत्तर जोड़े कपड़ों के भीतर से भी हूर के झाँकते गूदे की बात करता है - मतलब कि उसके लिये स्त्री सिर्फ वासना के प्रलोभन को जगाती गूदा है।
इत्ती छोटी सी कविता ? चलिए मुला सन्देश ब़डा है ... औरत के गूदे से भला कौन बचा है मुल्ला या पंडिज्जी सभी को तो जंचा है हाँ पंडिज्जी को चुपचाप हजम है मगर मुल्ले को जेहाद का नशा है ...
नहीं - किताब में तो और भी बहुत कुछ लिखा गया है - लेकिन जब सिखाने वाला गुरु एक चीज़ को " IMP " ... का लेबल दे देता है - तो फिर उसके अनुयायी उसके परे देखने की कोशिश ही छोड़ देते हैं | जिस "जेहाद " की बातें बार बार होती हैं - जो "मार दो " का जिक्र बार बार आता है - वह उसी सन्दर्भ में कहा गया है - जिस सन्दर्भ में श्री कृष्ण अर्जुन से लड़ने को कहते हैं - यानी कि - रक्तपात रोकने के लिए हर संभव रास्ते के बंद हो जाने के बाद | प्रॉब्लम यह है - कि ग्रन्थ पढ़ा नहीं जाता - और धर्मं के ठेकेदार अपनी इंटरप्रेटेशन को प्रचारित कर , इतना सर्वमान्य बना देते हैं - कि लोग उसे ही सही मानने लगते हैं - एक उदहारण है - राम स्त्री को नहीं समझते थे , कृष्ण स्त्री लोलुप और भोगी थे - आदि आदि ... और ताउम्र अजीयत की बात उसी तरह कही गयी है जैसे माँ अपने बच्चे को गलत काम से दूर रखने के लिए डराती है - यह किया तो हमेशा के लिए खेलना बंद तेरा ...
न जाने कितने कुअध्याय दफन करने हैं।
जवाब देंहटाएंkuchh shabdon ke mayne nahi samajh aye, madad kijiye...
जवाब देंहटाएंgude
digar
ajeeyat..
waise matlab samajh aya :-)
ek achha sandesh.
काश दफ़न हो पाता यह कहर...।
जवाब देंहटाएं@ unknown ज़ेहाद के लिये मुल्ला जब मुसलमानों को बरगलाता है तो सत्तर जोड़े कपड़ों के भीतर से भी हूर के झाँकते गूदे की बात करता है - मतलब कि उसके लिये स्त्री सिर्फ वासना के प्रलोभन को जगाती गूदा है।
जवाब देंहटाएंदीगर - अन्य, दूसरा
अजीयत - यंत्रणा
dhanyawad.
जवाब देंहटाएंइत्ती छोटी सी कविता ?
जवाब देंहटाएंचलिए मुला सन्देश ब़डा है ...
औरत के गूदे से भला कौन बचा है
मुल्ला या पंडिज्जी सभी को तो जंचा है
हाँ पंडिज्जी को चुपचाप हजम है
मगर मुल्ले को जेहाद का नशा है ...
नहीं - किताब में तो और भी बहुत कुछ लिखा गया है - लेकिन जब सिखाने वाला गुरु एक चीज़ को " IMP " ... का लेबल दे देता है - तो फिर उसके अनुयायी उसके परे देखने की कोशिश ही छोड़ देते हैं | जिस "जेहाद " की बातें बार बार होती हैं - जो "मार दो " का जिक्र बार बार आता है - वह उसी सन्दर्भ में कहा गया है - जिस सन्दर्भ में श्री कृष्ण अर्जुन से लड़ने को कहते हैं - यानी कि - रक्तपात रोकने के लिए हर संभव रास्ते के बंद हो जाने के बाद |
जवाब देंहटाएंप्रॉब्लम यह है - कि ग्रन्थ पढ़ा नहीं जाता - और धर्मं के ठेकेदार अपनी इंटरप्रेटेशन को प्रचारित कर , इतना सर्वमान्य बना देते हैं - कि लोग उसे ही सही मानने लगते हैं - एक उदहारण है - राम स्त्री को नहीं समझते थे , कृष्ण स्त्री लोलुप और भोगी थे - आदि आदि ...
और ताउम्र अजीयत की बात उसी तरह कही गयी है जैसे माँ अपने बच्चे को गलत काम से दूर रखने के लिए डराती है - यह किया तो हमेशा के लिए खेलना बंद तेरा ...