चौंक मत गर कहूँ कि
तू जो गा दे संग
तो फाग होली गुलाल हो
इस वक़्त न दिखा ये अंदाजे बयाँ
कि कल दिल में मलाल हो -
जो कहना था जिस वक़्त न कहे
शेर कहते रहे जब लगाने थे कहकहे।
माना कि बहुत रंग हैं तेरी इबारत में
हर्फ ही न रंगे इस मौसम तो क्या कहे।
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आचारज जी टाइप लोगों से अनुरोध है कि रंग में तंग न डालें। इस समय उनकी कोई बात नहीं सुनी जाएगी।