मुक्तछन्दी शेर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मुक्तछन्दी शेर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

मुक्तछ्न्दी - ढूँढ़ सको तो ढूँढ़ - क्या? अरे शेर ।

चौंक मत गर कहूँ कि 
तू जो गा दे संग 
तो फाग होली गुलाल हो
इस वक़्त न दिखा ये अंदाजे बयाँ 
कि कल दिल में मलाल हो -
जो कहना था जिस वक़्त न कहे
शेर कहते रहे जब लगाने थे कहकहे।
माना कि बहुत रंग हैं तेरी इबारत में
हर्फ ही न रंगे इस मौसम तो क्या कहे।
______________________________
आचारज जी टाइप लोगों से अनुरोध है कि रंग में तंग न डालें। इस समय उनकी कोई बात नहीं सुनी जाएगी।