मैल भरे मेरे चैल तुम तक छैल आऊँ कैसे?
राग विराग न मधु पराग उस शैल जाऊँ कैसे?
शुचि गहन अमा अन्धेरा गर्भगृह का देव पर,
दीप जले ताख राख से हाथ बचाऊँ कैसे?
तुम्हारी पगधूलि ली भाल कि तुम ऊँचे उठो,
तुम्हीं दो शाप तो कहो किसी को बताऊँ कैसे?
अधीर ओठों के अनल आँखों की बड़वागि तक,
भाल चन्दन पिघले शङ्ख चुम्बन चढ़ाऊँ कैसे?
स्फटिक शिलायें जड़ी हैं तुम्हारे घर कुट्टिम पर,
मैल सने बिवाई भरे पाँव ले कर आऊँ कैसे?
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