हम जिसे ख्वाब कहते हैं
वो उसे खराब कहते हैं
छुपा है रूप नूर के पीछे
आँखों से हिजाब दिखते हैं
इश्क़ उनकी लिखाई में
हर्फ हर्फ शबाब दिखते हैं
कीमती बहुत मायूसियाँ
नफरतें बेहिसाब रखते हैं
तैयारी है अश्वमेध की
गधे पर रकाब कसते हैं
~ गिरिजेश राव
इसे ग़ज़ल मानूँ!! जो भी हो, मज़ा आया!! आपकी रचना है तो अनोखी होगी ही!!
जवाब देंहटाएंसुबहान अल्लाह!
जवाब देंहटाएंइस सादगीपे कौन न मर जाये ऐ खुदा
लड़ने चले हैं, जेब में घुड़साल भी नहीं
तैयारी है अश्वमेध की
जवाब देंहटाएंगधे पर रकाब कसते हैं।
:-D