उठाया सलीब जो शैतानी मसीह का वो काँखने लगे
पहन माथे ताज काँटों का मेरा मर्सिया बाँचने लगे।
जाहिर थे सुर संसार मेरे आँख नीचे गीत पन्ने थे
पहली तान पर हुये दीवाने कुछ नंगे नाचने लगे।
दिल में रहते थे पता न था कि थे देह समाये भी
पुकार मेरी थी जोशीली गला खराब बताने लगे।
हिम्मत की जो उतरूँ हजार लहरें परखने के बाद
दास्तानें डूबती कश्तियों की सबको सुनाने लगे।
ठीक होता नहीं, है पाप अधम समुन्दर पार करना
तूफान तो थे ही नहीं जमीं पर जलजले उठाने लगे।
पलट कर कह न दूँ कि ठीक नहीं वार कमर नीचे
आह भरते छ्ल कहते जाँघ सलामत दिखलाने लगे।
क्या करना ऐसे मकान का जिसकी नींव पानी हो
घर ढूँढ़ने निकला जवान बूढ़े सरहदें दिखाने लगे।
क्या करना ऐसे मकान का जिसकी नींव पानी हो
जवाब देंहटाएंघर ढूँढ़ने निकला जवान बूढ़े सरहदें दिखाने लगे।
गज़ब के शेर कहे हैं इस बहर में..... एक ही बात कहूँगा---- अद्भुत
खूब!
जवाब देंहटाएंbahut khoob laajwaab
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