रविवार, 9 दिसंबर 2012

घर तो आने दो!


न दोष दो इन आँखों को न गाल पसरी बेशर्म लाली को
है खास कुछ इस जगह में, हवाओं में भी कुछ जहर है।

आँखें होंगी पाक गाल होंगे सफेद फिर, घर तो आने दो!

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